Message from Chair Person
"शिक्षा आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है " छात्र भी तदनुवर्ती कृति से अपने व्यक्तित्व को निखारने सजाने और संवारने का प्रयास करता है I हम भी संस्कृति ज्ञान और चरित्र की पावन त्रिधारा के संस्पर्श से छात्र का परिमार्जन करना ही लक्ष्य मानते हैं I लक्ष्य के अनुरूप सतत साधना ही छात्र के पथ प्रशस्ति का साधन बनेगी I अतः अभिभावक, छात्र, अध्यापक उदात्त लक्ष्य की प्राप्ति तक अथक प्रयास करने हेतु संकल्पित हों I बालकों को संस्कार के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए विद्यालय निरंतर प्रयत्नशील है I
सस्नेह
राकेश अग्रवाल